Ruby Arun's World
Ruby Arun
Thursday 8 September 2011
मैंने रखा है....... हर उस लम्हे को भर कर इत्र की शीशी में......... अब जब जी घबरा
ता है....... रुई के फाहे पर चुनकर किसी लम्हे को... एक स्पर्श मेरी धडकती नब्ज़ पर.... मेरी दुनिया फिर महक जाती है .................
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